Tuesday, 7 February 2012

UMR BHAR YUNHI...........
Tujhe mein chahoongi umr bhar yunhi.....
tujhe mein aazmaungi umr bhar yunhi.....
tu mujhe soche umr bhar yunhi
aur mein hasoon tujh par umr bhar yunhi
rat na guzre kabhi,
aur din na nikle kabhi,
mein jlaoon khud ko diye ki trah
umr bhr yunhi
tu dekhe mujhe chup chup ke aashiqon ki trah
mein tujhe tadpaoon zindagi ki trah umr bhar yunhi.....

1 comment:






  1. आदरणीया हुमा जी
    सस्नेहाभिवादन !

    बहुत अच्छी लगी आपकी कविता …
    उम्र भर यूँ ही ...........

    तुझे मैं चाहूंगी उम्र भर यूँ ही .....
    तुझे मैं आजमाउंगी उम्र भर यूँ ही .....
    तू मुझे सोचे उम्र भर यूँ ही
    और मैं हंसूं तुझ पर उम्र भर यूँ ही
    रात न गुज़रे कभी ,
    और दिन न निकले कभी ,
    मैं जलाऊँ खुद को दिए की तरह
    उम्र भर यूँ ही
    तू देखे मुझे छुप छुप के आशिकों की तरह
    मैं तुझे तड़पाऊँ ज़िंदगी की तरह उम्र भर यूँ ही .....

    कोई इतना प्यार करे तो उसके हाथों कौन उम्र भर तड़पना न चाहेगा ?!
    :)
    ऐसे दी सुंदर रचनाएं लिखती रहें…
    आएंगे फिर पढ़ने … … …

    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete